इब्लीस का घमण्ड
अल्लाह तआला क़ुरआन में फ़रमाता है कि :
“और उनमें जो कहे कि मैं अल्लाह के सिवा माबूद हूँ तो उसे हम जहन्नुम की जज़ा देंगे, हम ऐसी ही सज़ा देते हैं सितमगारों को। ” (सूरह अल अम्बिया, आयत- 29)
इस आयत की तफ़सीर में इब्ने जरीह रहमातुल्लाह अलैह लिखते हैं कि : ”फ़रिश्तों में सब से पहले जिसने यह बात कही कि अल्लाह के बजाए मैं माबूद हूँ वो इब्लीस लईन है”

हज़रत क़तादह रहमातुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं कि : “यह आयत अल्लाह के दुश्मन इब्लीस के बारे में उतरी। अल्लाह ने इस पर लानत फ़रमाई और इसे अपनी रहमत से निकाल दिया। और फ़रमाया हम इसे दोज़ख़ की सज़ा देंगे और ज़ालिमों को हम इसी तरह का बदला दिया करते हैं।”

अल्लाह तआला क़ुरआन में फ़रमाता है कि :
“और याद करो जब हमने फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि आदम को सजदा करो तो सबने सजदा किया सिवाए इब्लीस के, मुन्किर हुआ ग़ुरूर किया और काफ़िर हो गया।)” (सूरह अलबक़राह, आयत- 34)

इब्लीस को ऐसा घमण्ड क्यों हुआ कि उसने न सिर्फ़ अल्लाह का हुक्म मानने से इन्कार किया बल्कि ख़ुदाई का भी दावा कर बैठा इसके बारे उलमा के बहुत से क़ौल हैं।

इब्ने अब्बास (र.अन्हु) के एक क़ौल के मुताबिक़ : “ज़मीन पर इंसानो की तख़लीक़ से पहले जिन्नात आबाद थे। एक बार उन्होंने ज़मीन पर फ़साद फैलाया , एक दूसरे को क़त्ल किया और ख़ून बहाया। अल्लाह तआला ने इनके फ़साद को ख़त्म करने के लिए इब्लीस को फ़रिश्तों के एक गिरोह के साथ भेजा। यह वह ही गिरोह था जिसे जिन्न कहा जाता है। इब्लीस ने और उन फ़रिश्तों के गिरोह ने इनसे जंग की और इन्हें जज़ीरो और दूर दराज़ के पहाड़ों में धकेल दिया। इस कारनामे से उसमे ग़ुरूर पैदा हो गया। अल्लाह इसके गरूर को जान गया लेकिन फ़रिश्ते न जान सके।” इब्ने अब्बास (र.अन्हु) के एक दूसरे क़ौल के मुताबिक़क़ : “इब्लीस आसमाने दुनिया, ज़मीन और उसके दरमियान सब इलाक़े का बादशाह और निज़ाम चलाने वाला था और साथ ही जन्नत की हिफ़ाज़त का भी ज़िम्मेदार था। इब्लीस अल्लाह तआला की बहुत इबादत करता था और उसमें बहुत ज़्यादा तकलीफ़ें उठाता था, इस वजह से वह ख़ुदपसन्दी का शिकार हो गया और अपने आप को बहुत बड़ा और बहुत ऊँचे मर्तबे वाला समझने लगा और आख़िरकार उसने अल्लाह तआला के सामने भी अपने घमण्ड को ज़ाहिर कर दिया।” इब्ने मसऊद (र.अन्हु) इब्ने अब्बास (र.अन्हु) और दूसरे सहाबा-ए-किराम की रिवायतों के मुताबिक़ : “जब अल्लाह तआला अपनी अज़ीज़ तरीन मख़लूक़ को बनाने के बाद अपनी शान के मुताबिक़ अर्श पर रौनक़ अफ़रोज़ हुआ तो इब्लीस को आसमाने दुनिया की बादशाहत पर मुक़र्रर किया। इब्लीस का ताल्लुक़ फ़रिश्तों के उस गिरोह से था जिन्हें जिन्न कहा जाता है। उनका नाम जिन्न इसलिए रखा गया कि वह जन्नत के पहरेदार और हिफ़ाज़त करने वाले थे। इस इज़्ज़त अफ़ज़ाई (सम्मान) से इब्लीस के दिल में तकब्बुर यानि घमण्ड पैदा हो गया यहाँ तक कि उसने यह कह दिया कि अल्लाह तआला ने जो कुछ मुझे अता किया है वह मेरी ज़ाती इबादत और रियाज़त का इनाम और फल है।”

जब अल्लाह तआला ने आदम (عليه السلام)को पैदा फ़रमाया तो फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि आदम को सजदा करें सबने हुक्म की तामील की लेकिन इब्लीस ने इंकार किया और अल्लाह तआला की नाफ़रमानी की। अल्लाह तआला तमाम भेद जानता है इब्लीस से सवाल किया तुझे किस चीज़ ने आदम को सजदा करने से रोका। उसने जवाब दिया ”मैं आदम से बेहतर हूँ तूने मुझे आग से और आदम को मिट्टी से पैदा किया।” शैतान का जवाब तकब्बुर और जहालत वाला था। अल्लाह तआला इस पर ग़ज़बनाक हुआ और रान्दहे दरगाह कर दिया यानि अपनी रहमत से निकाल दिया और लानत का तौक़ उसकी गर्दन में डाल दिया। शैतान ने तौबा व इस्तग़फ़ार करने के बजाए अल्लाह तआला से खुली बग़ावत कर दी और क़यामत तक के लिए आदम (عليه السلام)की नस्लों को बहकाने के लिए मोहलत माँग ली। अल्लाह पाक के इल्म और हिकमत का भी यही तक़ाज़ा था कि औलादे आदम की आज़माइश की जाये। लिहाज़ा उसकी दरख़्वास्त मंज़ूर की गई। उसे लम्बी उम्र अता की और साथ में वो सामान भी जो नस्ले आदम को गुमराह करने के लिए चाहिए थे।

हज़रत आदम (عليه السلام)की पैदाइश अल्लाह हर काम पर क़ादिर है वो चाहे तो पलक झपकते ही तमाम जहानों को पैदा कर सकता है लेकिन इस दुनिया और इंसानों की तख़लीक़ उसने कई मरहलों (Stages) में की जब अल्लाह तआला ने हज़रत आदम (عليه السلام)को पैदा करना चाहा तो |
फ़रिश्तों से फ़रमाया कि :
“ बेशक मैं बनाने वाला हूँ ज़मीन में अपना नायब। उन्होंने कहा तू उसे नायब बनायेगा जो वहाँ फ़साद करें और ख़ून बहाएं और हम तेरी हम्द के साथ तेरी तस्बीह बयान करते हैं और तेरी पाकी बयान करते हैं। फ़रमाया बेशक मैं जानता हूँ जो तुम नहीं जानते। ” (सूरते बक़र आयत 29 ,30 )
हज़रत इब्ने अब्बास (र.अन्हु) इस आयत की तफ़्सीर बयान करते हुए फ़रमाते हैं कि : “फ़रिश्तों ने ऐसा इस लिए कहा कि सबसे पहले ज़मीन पर रहने वाले जिन्नो ने फ़साद बरपा किया , ख़ून बहाया और अल्लाह कि नाफ़रमानी की लिहाज़ा अब जो ख़लीफ़ा बनेगा वो भी वैसा ही करेगा। अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि बेशक तुम नहीं जानते जो मैं जानता हूँ।”

यह बात याद रखनी चाहिए कि फ़रिश्तों का यह कहना एतराज़ के तौर पर नहीं था और न ही आदम (عليه السلام)और उनकी औलाद से हसद के तौर पर क्योंकि क़ुरआन मजीद के मुताबिक़ फ़रिश्ते वह बात नहीं कहते जिसको कहने या पूछने की उन्हें इजाज़त न हो।’

लिहाज़ा जब अल्लाह तआला ने आदम (عليه السلام)को बनाना चाहा तो फ़रमाया कि सारी ज़मीन से मिट्टी लाई जाए और आदम (عليه السلام)के लिये लेसदार चिपकने वाली मिट्टी आसमान की तरफ़ बुलन्द की गई पहले यह मिट्टी गारे की शक्ल में थी फिर इससे ख़मीर उठ गया । लिहाज़ा इस लेसदार और चिपकने वाली मिट्टी से अल्लाह तआला ने आदम (عليه السلام)का पुतला अपने दस्त-ए-क़ुदरत से बनाया |

आदम (عليه السلام)को किस मिट्टी से बनाया गया? अबु मूसा अश्अरी (र.अन्हु) से रिवायत है कि
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया कि :
“ अल्लाह ने आदम (عليه السلام)को एक मुट्ठी मिट्टी से पैदा फ़रमाया जिसको तमाम ज़मीन से लिया गया इस तरह कई जगह की मिट्टी इस्तेमाल होने की वजह से इन्सान अलग-अलग रंग (जैसे गोरे,काले या साँवले), अलग -अलग आदतों (जैसे ख़ुश अख़लाक़, बद मिजाज़) और अलग ख़सलतों (जैसे नेक व बद) के होते हैं। ”
इब्ने अब्बास (र.अन्हु) से रिवायत है :
“ कि इंसान को तीन तरह की मिटटी से पैदा किया गया है, 1. सलसाल , 2. हमा , 3. तीन लाज़िब , : इससे से मुराद बेहतरीन और उम्दा मिट्टी है, “हमा” से मुराद कीचड़ और “सलसाल” से मुराद ऐसी मिट्टी जिसे कूट कर बारीक किया गया हो यानि ऐसी ख़ुश्क जो खनखनाती हो। ”

अल्लामा इब्ने कसीर लिखते है : अल्लाह तआला ने फ़रिश्तों को मिट्टी लाने का हुक्म दिया। वह मिट्टी आसमानो की तरफ़ ले जाई गई और लेस दार मिट्टी “तीन लाज़िब” से आदम (عليه السلام)को बनाया गया जो इस से पहले बदबूदार मिट्टी “हमा” की शक्ल में थी और इस से पहले वो खुश्क मिट्टी “तुराब” थी। जैसा कि क़ुरआन मजीद में

अल्लाह तआला फ़रमाता है कि :
“ हम ने इंसान को सड़ी हुई मिट्टी के सूखे गारे से बनाया। ” (सूरह अलहजर, आयत-26)

गर्ज़ यह है कि अल्लाह ने आदम (عليه السلام)को अपने दस्ते क़ुदरत से बनाया। पहले मिट्टी को गारे में तब्दील किया फिर इसको मिला कर गुंधा गया। फिर आदम (عليه السلام)का पुतला बनाया गया और इसको चालीस दिन तक इसी तरह रहने दिया। फ़रिश्ते इसे देखने के लिए आते थे। इब्लीस भी अपने पैर से इस पुतले को ठोकर मारता और कहता मैं तुझ पर ग़ालिब आ गया तो तुझे हलाक कर दूंगा और अगर तू मेरा हाकिम बन गया तो मैं तेरी नाफ़रमानी करुँगा।

जिस्म में रूह का दाखिल होना अल्लाह तआला ने आदम (عليه السلام)का पुतला बनाया और इसको चालीस दिन तक इसी तरह रहने दिया। जब वह मिट्टी बिना पकाए मज़बूत हो गई और सूखकर ठीकरे की तरह आवाज़ करने लगी और जब यह पुतला पक्का हो गया तो अल्लाह तआला ने इसमें रूह फूंकने का इरादा फ़रमाया। पुतले को फ़रिश्तों के सामने पेश करके फ़रमाया कि जब मैं इसमें रूह फूंक दूँ तो तुम उसके सामने सजदे में गिर जाना। इब्ने मसऊद (र.अन्हु), इब्ने अब्बास (र.अन्हु) और दूसरे सहाबा-ए-किराम की रिवायतों के मुताबिक़ :

अल्लाह तआला ने जब आदम (عليه السلام)के पुतले में रूह फूंकना चाही तो फ़रिश्तों से फ़रमाया कि जब मैं इसमें रूह फूंक दूँ तो तुम उसके सामने सजदे में गिर जाना।

फिर जब अल्लाह तआला ने आदम (عليه السلام)के जिस्म में रूह फूंकी तो वह सिर की तरफ़ से जिस्म में दाख़िल हुई जिसकी वजह से आदम (عليه السلام)को छींक आ गई जिस पर फ़रिश्तों ने कहा “अल्हम्दुलिल्लाह” (यानि तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं) कहें।

अलहम्दुलिल्लाह कहने पर अल्लाह ने कहा “रहमका रब्बिका” (यानि तुम्हारा रब तुम पर रहम करे)। जब रूह आँखों में दाख़िल हुई तो आदम (عليه السلام)ने जन्नत के फल और मेवों को देखा। पेट में पहुँची तो खाने की ख़्वाहिश पैदा हुई और आदम (عليه السلام)पैरों और टाँगों में रुह पहुँचने से पहले ही उन फलों और मेवों की तरफ़ कूद पड़े। क़ुरआन पाक में इसी जल्दबाज़ी की तरफ़ इशारा करते हुए |

अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि :
“ और इंसान जल्द बाज़ है | ” ( सुराह बनी इसराइल : 17 आयात: 11 )
इब्ने अब्बास (र.अन्हु) से रिवायत है कि :
“ अल्लाह तआला ने सब से पहले आदम (عليه السلام)के जिस्म में रूह फूंकी तो वह सिर की तरफ़ से जिस्म में दाख़िल हुई और जिस्म के जिस हिस्से में पहुँचती वह गोश्त और ख़ून में तबदील हो जाता। जब रूह नाफ़ की जगह पहुँची तो आदम (عليه السلام)ने अपने जिस्म को देखा तो वह बहुत ख़ूबसूरत मालूम हुआ आदम (عليه السلام)ने उठना चाहा तो उठ न सके ”
अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि – “बेशक इंसान जल्द बाज़ है”।
आगे फ़रमाया – “आदम से मारे ख़ुशी के सब्र न हो सका”।

फिर जब तमाम जिस्म में रूह फैल गई तो आदम (عليه السلام)को छींक आई और उन्होंने “ अल्हम्दुलिल्लाह ” (तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं) कहा यह अल्लाह की तरफ़ से इल्हाम की वजह से था अल्लाह ने फ़रमाया ऐ आदम! अल्लाह तुझ पर रहम करे।

फिर अल्लाह तआला ने आदम (عليه السلام)को इल्म अता किया और तमाम चीज़ों के नाम सिखाये।
क़ुरआन पाक में है कि :
“ और अल्लाह तआला ने आदम (عليه السلام)को तमाम नाम सिखाये ” (सूरह अलबक़राह, आयत-31)
हज़रत इब्ने अब्बास (र.अन्हु) इसकी तफ़्सीर बयान करते हुए फरमाते हैं कि “अल्लाह ने आदम (عليه السلام)को हर चीज़ का नाम सिखाया यहाँ तक कि जिस्म से हवा ख़ारिज होने की आवाज़ का नाम तक सिखाया। तमाम छोटी और बड़ी चीज़ों के नाम ज़ाती और सिफ़ाती दोनों तरह के नाम सिखाये और तमाम कामों के नाम जैसे इब्ने अब्बास का क़ौल है की "गूंज” का नाम भी सिखाया।

अल्लाह तआला ने आदम को तमाम नाम सिखाकर फ़रिश्तों के सामने पेश किया और

अल्लाह तआला ने फ़रमाया :
“ गर तुम सच्चे हो तो इन चीज़ों के नाम बताओ। फ़रिश्तो ने कहा अल्लाह तेरी ज़ात पाक है हमें तो सिर्फ इतना ही इल्म है जितना तूने हमें सिखाया पूरे इल्म व हिकमत वाला तू ही है अल्लाह ने आदम (عليه السلام)से फ़रमाया तुम इनके नाम बता दो जब इन्होने बता दिए। तो फ़रमाया क्या मैं ने तुम्हे पहले नहीं कहा था कि ज़मीन आसमान का ग़ैब मैं ही जानता हूँ और मेरे इल्म में है जो तुम ज़ाहिर करते हो और छिपाते हो। ” (सूरह अलबक़राह, आयात-31 से 33)

यहाँ इस बात का बयान हो रहा है कि अल्लाह तआला ने एक ख़ास इल्म के ज़रिये आदम (عليه السلام)को फ़रिश्तों पर फ़ज़ीलत दी। यह वाक़िया फ़रिश्तों के सजदा करने के बाद का है। अल्लाह तआला ने फिर इन चीज़ों को फ़रिश्तों के सामने पेश किया और फ़रमाया अगर तुम अपने क़ौल में सच्चे हो तो इन चीज़ों के नाम बताओ। फ़रिश्तों ने यह सुनते ही अल्लाह तआला की बड़ाई, पाकीज़गी और अपने इल्म की कमी बयान की और कहा की हमें तो ऐ खुदावंद! इतना ही इल्म है जितना तूने हमें दिया। तमाम चीज़ो को जानने वाला तो परवरदिगार तू ही है।

फिर अल्लाह तआला आदम (عليه السلام)की तरफ़ मुतवज्जा हुआ और फ़रमाया इन चीज़ो के नाम बता दो। आपने तमाम चीज़ो के नाम सही-सही बता दिये। इस तरह आदम (عليه السلام)की बरतरी फ़रिश्तों पर ज़ाहिर हो गई तो अल्लाह तआला ने फ़रमाया ”देखो में ने तुम से पहले ही कहा था कि हर खुले और छिपे का जानने वाला मैं ही हूँ। मतलब यह कि इब्लीस के दिल में छिपे तक्कुब्बर और ग़ुरूर को मैं ही जानता हूँ और फ़रिश्तों ने जान लिया कि आदम (عليه السلام)को इल्म व फ़ज़्ल के ज़रिये हम पर फ़ज़ीलत और बरतरी दी गई है। हज़रत हव्वा ے की पैदाइश जब फ़रिश्तों के सामने इब्लीस का घमण्ड ज़ाहिर हो गया और उस ने घमण्ड और सरकशी पर कमर बांध ली तो अल्लाह तआला ने उस पर लानत फ़रमाई आसमान और ज़मीन की हुकूमत उससे छीन ली और जन्नत की पहरेदारी से भी हटा दिया और फ़रमाया- “तू मरदूद है जन्नत से निकल जा अब क़यामत तक के लिए तुझ पर लानत है।”

इस के बाद अल्लाह ने हज़रत आदम (عليه السلام)को जन्नत में रहने का हुक्म फ़रमाया और इन पर ऊँघ डाल दी यानि उन पर नींद तारी हो गई। फिर इन की बायीं पसली में से एक पसली लेकर हव्वा ے को पैदा फ़रमाया।

आदम (عليه السلام)जब सोकर उठे तो अपने सिरहाने एक औरत को खड़ा देखा। आदम ने पूछा : “तुम कौन हो ?”
अम्मा हव्वा ने कहा : “एक औरत |”
आदम ने फिर पूछा] : “किस लिए पैदा की गई हो ?”
हव्वा कहने लगीं : “ताकि तुम मुझ से सकून हासिल कर सको। ” जब फ़रिश्तों को ख़बर हुई तो वो इस औरत को देखने आये और फरिश्तो ने पुछा] : ऐ आदम! इसका नाम क्या है ?
आदम ने जवाब दिया] : “हव्वा ”
इन्होंने फिर पूछा] : “ये नाम क्यों रखा?
आदम कहा] : “इस लिए की यह “हइ” यानि ज़िंदा इन्सान से पैदा की गई।”

इस के बाद अल्लाह तआला ने फरमाया :
“ तुम और तुम्हारी बीवी जन्नत में रहो और जहाँ से चाहो ख़ूब दिल खोल कर खाओ लेकिन इस दरख़्त के पास मत जाना कि हद से बढ़ने वालों में हो जाओगे ” (सूरह अलबक़राह, आयात- 34 से 35)

अल्लाह तआला ने हज़रत आदम (عليه السلام)और हव्वा (عليه السلام)को जन्नत में ठिकाना अता फ़रमाया और उन्हें हर तरह की आज़ादी अता फ़रमाई सिवाय एक दरख़्त के पास जाने के। उन्होंने अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ उस दरख़्त के पास जाने से ख़ुद को रोके रखा फिर इनके दिल में शैतान ने वसवसा डाला और आख़िर कार दोनों से वो खता हो गई जिस से अल्लाह तआला ने उन्हें मना फ़रमाया था।

क़ुरआन में अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया :
“ तो शैतान ने इन्हें इस दरख़्त के ज़रिये फुसलाया और जहाँ वो रहते थे वहाँ से उन्हें अलग कर दिया और हमने फ़रमाया तुम सब नीचे उतरो। ” (सूरह अलबक़राह, आयात- 36 से 37)
अभी फल खाना ही शुरू ही किया था कि जन्नती लिबास उतर गया और वह दोनों, पत्तों से अपना सतर ढाँपने और शर्मिन्दा होकर इधर उधर भागने लगे। अल्लाह तआला ने फ़रमाया : “ ऐ आदम! क्या मुझ से भागते हो ”
आदम (عليه السلام)ने अर्ज़ किया : “ नहीं ऐ मेरे रब! बल्कि तुझ से हया करता हूँ। ”
अल्लाह का अताब नाज़िल हुआ कि : “ ऐ आदम! क्या मैंने तुमसे उस दरख़्त के पास जाने से मना नहीं किया था ? क्या मैने तुम्हें ख़बरदार नहीं किया था कि शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है ? ”
हज़रत आदम (عليه السلام)फ़ौरन अपनी ग़लती का अहसास करते हुए सजदे में गिर गए और नदामत से अर्ज़ करने लगे |

क़ुरआन :
“ ऐ परवरदिगार हम ने अपनी जानों पर ज़ुल्म किया और अगर आप ने अपने फ़ज़्ल व करम से हमे माफ़ न फ़रमाया और हम पर रहम न फ़रमाया तो हम ख़सारा(नुक़सान) उठाने वाले हो जायेंगे। ” (सूरह अलऐराफ़,आयत -23)

अल्लाह तआला जो सब के दिलों के हाल जानता है वह हज़रत आदम (عليه السلام)के दिल की कैफ़ियत को अच्छी तरह जानता था। उसने आप को माफ़ फरमा दिया। लेकिन अल्लाह को आइन्दा के लिए दुनिया को आबाद करना था और नस्ले इन्सानी को बढ़ाना था इसलिए अल्लाह तआला ने हज़रत आदम (عليه السلام)और हव्वा ے को हुक्म दिया कि तुम ज़मीन पर उतर जाओ और वहीं पर रहो और यह बात हमेशा याद रखो कि- “शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है।”